संगठन की कार्य योजना
(1) जहाँ अभी तक नही पहुँचे वहाँ पहुचना अर्थात कार्य विस्तार करना समाज के अंतिम व्यक्ति तक हमारी पहुँच बने यह सुनिश्चित करना प्रवास की रचना कर ब्लाक स्तर तक पहुँचना। प्रत्येक दायित्व वान कार्यकर्ता को संघ स्थान अर्थात संघ की शाखा में उपस्थित रहना ।
(2) स्वयं की वित्तीय व्यवस्था सुदृढ़ करना इसके लिए सदस्यता अभियान चलाना। समय-समय पर कार्यक्रम कर विज्ञापन दान इत्यादि से भी संघ की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। कार्यक्रम करने से नई कार्यकर्ता का निर्माण एवं धन संग्रह दोनो ही होता है।
(3) कार्यालय का संधारण - वास्तव में किसी भी संघठन का मूल 3 K से होता है, कार्यकर्ता कार्यालय एवं कोष। इसी तारतम्य में संगठन का कार्यालय व्यवस्थित रुप से संचालित हो यह भी सुनिश्चित होना चाहिए। कार्यालय की व्यवस्था वर्तमान परिदृश्य में काफी महत्वपूर्ण होकर हाईटेक होना चाहिए ।
(4) कार्य विभाजन - सभी दायित्ववान कार्याकर्ताओं का परस्पर समन्वय कर कार्य विभाजन सुनिश्चित करना आवश्यक होता है। सभी को अपने - अपने कार्य की जवाबदेही तय की जाय प्रवास के कार्यक्रम बनाये जाय युवा एवं महिला कार्यकर्ता को प्रोत्साहन दिया जाय एवं समय - समय पर अभ्यास वर्ग का आयोजन किया जाना चाहिए।
(5) महिला नेतृत्व तैयार करना - प्रत्येक राज्य, संभाग जिला तहसील स्तर पर महिला नेतृत्व को जवाबदेही बनाना उनके प्रवास के कार्यक्रम की व्यवस्था करना । प्रत्येक महिला कार्यकर्ता को वर्ष में 2-3 प्रवास अवश्य करना चाहिए। उनकी सारी व्यवस्था सम्बंधित इकाई करेगी।
(6) प्रशिक्षण - सभी कार्यकर्ताओं के लिए पृथक पृथक अभ्यास वर्ग की व्यवस्था हो। अभ्यास वर्ग 2 से 3 दिवस का होना चाहिए। अभ्यास वर्ग में युवा कार्यकर्ताओं की सहभागिता अधिक से अधिक हो । महिला कार्यकर्ताओं के लिए भी अभ्यास वर्ग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।